Dushyant Kumar was the famous poet of modern Hindi Literature. He is well known as the first Ghazalas writer of India.He was also a dramatist. Here are Best Dushyant Kumar Inspirational Quotes.
He wrote many poems, dramas, short stories and Ghazals. He is recognized as one of the foremost Hindustani poets of the 20th century.His poetry has become an inspiration for the whole generation of emerging poets.
Today here for the poetry lovers we are sharing Dushyant Kumar Poems in Hindi, Dushyant Kumar Motivational Quotes and many more.
Dushyant Kumar Ghazal Collection
Dushyant Kumar has written many famous poems. Some of them we are sharing here for the poetry lovers. Below check Dushyant Kumar Poems, Dushyant Kumar Ghazalas, Dushyant Kumar Shayari Free Download.
Dushyant Kumar Poems In Hindi
आग जलनी चाहिए – दुष्यन्त कुमार (Dushyant Kumar)
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए
हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।
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इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है,
नाव जर्जर ही सही, लहरों से टकराती तो है।
एक चिंगारी कहीं से ढूँढ लाओ दोस्तों,
इस दिए में तेल से भीगी हुई बाती तो है।
एक खंडहर के हृदय-सी, एक जंगली फूल-सी,
आदमी की पीर गूंगी ही सही, गाती तो है।
एक चादर साँझ ने सारे नगर पर डाल दी,
यह अंधेरे की सड़क उस भोर तक जाती तो है।
निर्वचन मैदान में लेटी हुई है जो नदी,
पत्थरों से, ओट में जा-जाके बतियाती तो है।
दुख नहीं कोई कि अब उपलब्धियों के नाम पर,
और कुछ हो या न हो, आकाश-सी छाती तो है।
– दुष्यंत कुमार
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Dushyant Kumar Shayari
यहाँ दरख़्तों के साये में धूप लगती है
चलो यहाँ से चले और उम्र भर के लिये…
…
कौन कहेगा हुकूमत से, कौन समझेगा
एक चिडिया इन धमाकों से सिहरती है …
…
वो मुतमइन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता
मैं बेक़रार हूँ आवाज़ में असर के लिये…
…
कौन कहता हिया आकाश मे सुराख नही हो सकता
एक पत्थर तो तबियत से उछालों यारों …
…
एक चादर साँझ ने सारे नगर पर डाल दी,
यह अंधेरे की सड़क उस भोर तक जाती तो है…
…
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।
…
मौत ने तो धर दबोचा एक चीते की तरह
ज़िंदगी ने जब छुआ फासला रखकर छुआ…
…
इस शहर मे बारात हो या वारदात
अब किसी भी बात पर खुलती नही हैं खिड़कियाँ…
…
कल मिला वो महफ़िल मे मुझे चिथरे पहने हुए
मैंने पूछा नाम तो बोला कि हिंदुस्तान हूँ…
Dushyant Kumar Poems In English
Ek gudiya ki kai kathaputliyon mein jaan hai
aaj shayar ye tamasha dekh kar hairaan hai
khaas sadaken band hain tab se marammat ke liye
ye humare waqt ki sabse badi pahchaan hai
ek budha aadami hai mulk mein ya youn kaho
is andheri kothari mein ek roshandaan hai
maslahat aameez hote hain siyaasat ke kadam
tu na samajhega siyaasat tu abhi insaan hai
is kadar pabandi-e-mazahab ki sadaken aapki
jab se aazadi mili mulk mein ramzaan hai
kal numaaish mein mila wo cheethardhe pahne hue
maine poocha naam to bola hindustaan hai
mujh mein rahte hain karodon log chup kaise rahoon
har ghazal ab saltanat ke naam ek bayaan hai
Dushyant Kumar Poems Collection
चांदनी छत पे चल रही होगी
अब अकेली टहल रही होगी
फिर मेरा ज़िक्र आ गया होगा
वो बर्फ सी पिघल रही होगी
कल का सपना बहुत सुहाना था
ये उदासी न कल रही होगी
सोचता हूँ कि बंद कमरे में
एक शमा सी जल रही होगी
तेरे गहनों सी खनखनाती थी
बाजरे की फसल रही होगी
जिन हवाओं ने तुझको दुलराया
उनमें मेरी ग़ज़ल रही होगी
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Dushyant Kuamar Poems Download
मत कहो आकाश में कोहरा घना है,
यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है।
सूर्य हमने भी नहीं देखा सुबह का,
क्या करोगे सूर्य का क्या देखना है।
हो गयी हर घाट पर पूरी व्यवस्था,
शौक से डूबे जिसे भी डूबना है।
दोस्तों अब मंच पर सुविधा नहीं है,
आजकल नेपथ्य में सम्भावना है.
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अगर ख़ुदा न करे सच ये ख़्वाब हो जाए
तेरी सहर हो मेरा आफ़ताब हो जाए
हुज़ूर! आरिज़ो-ओ-रुख़सार क्या तमाम बदन
मेरी सुनो तो मुजस्सिम गुलाब हो जाए
उठा के फेंक दो खिड़की से साग़र-ओ-मीना
ये तिशनगी जो तुम्हें दस्तयाब हो जाए
वो बात कितनी भली है जो आप करते हैं
सुनो तो सीने की धड़कन रबाब हो जाए
बहुत क़रीब न आओ यक़ीं नहीं होगा
ये आरज़ू भी अगर कामयाब हो जाए
ग़लत कहूँ तो मेरी आक़बत बिगड़ती है
जो सच कहूँ तो ख़ुदी बेनक़ाब हो जाए.
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Dushyant Kumar Poems List
रोज़ जब रात को बारह का गजर होता है
यातनाओं के अँधेरे में सफ़र होता है
कोई रहने की जगह है मेरे सपनों के लिए
वो घरौंदा ही सही, मिट्टी का भी घर होता है
सिर में सीने में कभी पेट से पाओं में कभी
इक जगह हो तो कहें दर्द इधर होता है
ऐसा लगता है कि उड़कर भी कहाँ पहुँचेंगे
हाथ में जब कोई टूटा हुआ पर होता है
सैर के वास्ते सड़कों पे निकल आते थे
अब तो आकाश से पथराव का डर होता है
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तुम्हारे पाँव के नीचे कोई ज़मीन नहीं
कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यक़ीन नहीं
मैं बेपनाह अँधेरों को सुब्ह कैसे कहूँ
मैं इन नज़ारों का अँधा तमाशबीन नहीं
तेरी ज़ुबान है झूठी ज्म्हूरियत की तरह
तू एक ज़लील-सी गाली से बेहतरीन नहीं
तुम्हीं से प्यार जतायें तुम्हीं को खा जाएँ
अदीब यों तो सियासी हैं पर कमीन नहीं
तुझे क़सम है ख़ुदी को बहुत हलाक न कर
तु इस मशीन का पुर्ज़ा है तू मशीन नहीं
बहुत मशहूर है आएँ ज़रूर आप यहाँ
ये मुल्क देखने लायक़ तो है हसीन नहीं
ज़रा-सा तौर-तरीक़ों में हेर-फेर करो
तुम्हारे हाथ में कालर हो, आस्तीन नहीं.
If you like poetry, shayari and Ghazalas then hopefully you will enjoy this post by the famous poet Dushyant Kumar. Enjoy reading Dushyant poetry in Hindi. Soon we will update more Dushyant Kumar Poems in Hindi.